Wednesday, June 19, 2013

आश्रम ASHRAM


बात कुछ साल पहले की है जब मैं एक आश्रम जा रहा था. अकसर लोगो के दिमाग में आश्रम को लेकर कई दुर्विचार होते है जैसे वो मौजमस्ती का अड्डा होता है परन्तु ऐसा कुछ भी नही है, आश्रम एक पवित्र और मन को शान्ति देने वाली जगह होती है.
मेरी नई नई शादी हुई थी. मेरी पत्नी का नाम रीना था. रीना की उम्र २२ के करीब, पतली दुबली, रंग गोरा, गोल चेहरा, गुलाबी होंठ, लम्बे बाल, स्तन न तो ज्यादा बडे न ही ज्यादा छोटे, पतली कमर, सामान्य कद की आकर्षक व्यक्तित्व की मालिक थी. मेरी शादी घर वालो की मर्जी से हुई थी. शादी से पहले मैने रीना को कभी नही देखा था, शादी वाले दिन ही पहली बार रीना को देख कर अपनी किस्मत पर फक्र हो रहा था. सुहागरात के रात काम की वजह से कमरे में जाने मे देर हो गया और मैने रीना से बात की और ये निर्णय लिया की सुहागरात हम अपने हनीमून मे ही मनाऐंगे. दो दिन के कार्यक्रम के बाद हम हनीमून के लिए निकल गये. वैसे हनीमून ५ दिन बाद का था पर मैने सोचा की ३ दिन आश्रम मे रुक जायेंगे.
पुणे स्थित आश्रम पहुंचे तो पता चला कि वहां बहुत भीड़ चल रही थी. न होटल मिल रहा था न आश्रम में जगह थी. बुरे फसे की स्थिति थी, तभी किसी ने पिछे से आवाज लगाई. मैने पिछे मुड़ कर देखा, आर्यन था. आर्यन एक ३६ वर्ष का सन्यासी था और इस आश्रम मे मेरे खास परिचित मे से था, हमारे विचार काफी हद तक मिलते थे तो अच्छी दोस्ती थी. पहले जब आश्रम आता था तो अक्सर आर्यन के पास ही रुक जाता था. आश्रम के बाहर उसका एक कमरा था जिसमे अक्सर लोगो को ठहरा लेता था, इससे कुछ आमदनी हो जाती थी उसकी.
मेरे साथ रीना को देख कर उसने मुझे घुर कर देखा. मैने मुस्कुरा कर बताया कि मेरी पत्नी है तो मुझे काफी खरी खोटी सुनाई, ये पुछा कि शादी मे क्यो नही बुलाया आदि आदि. गुस्सा कम शिकायत ज्यादा थी, मैने प्यार से माफी मांगी तो मुस्कुराने लगा. फिर उसने आने का कारण पुछा तो मैने बताया कि हनीमून पर जाना था पर सोचा की रीना को कुछ दिन आश्रम घुमा कर जाऊं.
आर्यन ने मुझ से कहा कि होटल या कुछ भी मिलना मुश्किल है, मै खुद भी ये जानता था तो उसने ये सुझाव दिया कि उसके घर पर रुक जाऊं. वैसे अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ एक मर्द के यहां रुकना ठीक तो नही लग रहा था पर हालात के हिसाब से मजबूरी थी. हम आर्यन के साथ उसके घर चल दियेम घर कुछ ज्यादा दुरी पर था पर सन्यासियों के लिये तो इतना चलना रो़ज़ की बात थी. लगभग १० मिनट मे हम उसके घर पहुंचे.
घर पुरा मेस था, सिर्फ मर्द रहेगे तो वैसे भी बेतर्तीब तो रहता है. एक रस्सी से कपडे़ सूख रहे थे पर कुछ कपडे़ आर्यन के नही लग रहे थे. मैने आर्यन से पुछा तो उसने बताया की गांव से उसका भतीजा अजय आया हुआ है. अजय १७ साल का लड़का था, हिष्ट पुश्ट, लम्बा. मै उस्से एक दो बार मिल चुका था और मुझे उसका नेचर बहुत अच्छा लगा था तो मैने कुछ नही कहा इस बारे में. थोडा़ अजीब लग रहा था कि हम दोनो दो मर्दो के साथ एक ही कमरे के घर में तीन दिन रहेंगे.
आर्यन ने सुझाव दिया कि हम लोग नहा कर नाश्ता कर ले, वो २ बजे तक आश्रम से वापस आयेगा, तब तक अजय भी आ जायेगा. मैने सहमति दे दी और वो चला गया. मैने पहले खुद नहाया फिर रीना को नहाने के लिये बोला. रीना ने कपडे़ बदले और नहाने को चली, रीना ने नाईटी पहन रखी थी. जब पानी की आवाज आने लगी तो मैने जा कर दरवाजे का मुआएना किया. लकडी़ के दरवाजे मे ऊपर की तरफ एक झीर्री थी. मैने अंदर देखा तो रीना बिना कपडो़ के बदन पर साबुन लगा रही थी. पुरा बाथरूम साफ दिख रहा था. मैने निर्णय लिया कि जब आर्यन या अजय घर पर होंगे तब हम नही नहाएंगे. होने के लिए दोनो सन्यासी है पर कोई रिस्क नही लेना चाहिए. नहाने के बाद रीना नाईटी पहन कर बाहर आ गई. उसके निप्पल नाईटी पर साफ झलक रहे थे. मैने उससे पुछा कि वो ब्रा नही पहनी है क्या? उसने शरमाते हुए बताया कि वो जब साडी़ पहनेगी तब ब्रा पहन लेगी. मैने कुछ नही कहा बस मुस्कुरा दिया.
नहाने के बाद मैने खाने के बारे मे पुछा तो उसने सहमति जताई. मैने उसे बताया कि खाना लेने कुछ दूर जाना पडे़गा और क्या वो अकेले रह लेगी. वैसे तो वो इतनी हिम्मत वाली नही थी फिर भी उसने बडे़ आराम से कहा कि वो रह लेगी. मैने उसे बताया कि मुझे ३० मिनट लग जायेंगे. उसे दरवाजा अंदर से बंद करने को कह कर मै खाना लेने निकल पडा़. आस पास की दुकाने बंद थी तो वापस आते आते ४० मिनट हो गये.
जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा तो अंदर से किसी मर्द की आवाज सुनाई दे रही थी. मैने सोचा की इस वक्त अंदर कौन हो सकता है इसलिए दरवाजे के एक झिर्री से अंदर झांक कर देखा. अंदर अजय था और वो रीना से बात कर रहा था,उसने रीना को बताया कि आश्रम मे कुछ जरूरी काम है इसलिए वो जल्दी आ गया, बस नहा कर निकल जायेगा. फिर वो मेरे बारे में पुछने लगा, रीना ने उसे बताया की मै खाना लेने गया हूं. इतनी बात के बाद वो अंदर घुस गया और मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी. आटो वाला था, हड़बडी़ मे उसको किराया देना भूल गया था. मैने उसको किराया दिया और दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढा़या तो फिर अजय की आवाज सुनाई दी. वो रीना को आवाज लगा रहा था कि वो टावेल ले जाना भूल गया है और वो उसे टावेल दे दे. उत्सुक्तावश मैने झिर्री से अंदर झांक कर देखा तो रीना टावेल लिये बाथरूम के गेट पर खडी़ थी उसने अजय को आवाज लगाई कि वो टावेल ले ले.
अचानक अजय ने बाथरूम का पूरा दरवाजा खोल दिया, वो एक दम नंगा खडा़ था. मैं और रीना दोनो भौचक्के रह गये. अजय ने टावेल के साथ रीना का हाथ पकड़ कर रीना को बाथरूम के अंदर खींच लिया. ये सब इतना अचानक हुआ कि कुछ रिस्पांस करने का समय ही नही मिला. मुझे लगा की २ मिनट मे रीना चिल्लाते हुए बाहर आ जायेगी पर वो काफी देर बाहर नही आई तो मुझे डर सताने लगा. मैने दरवाजे पर दस्तक दी, कोई आवाज नही आई तो मैने फिर दस्तक दी. इस बार अजय ने पुछा की कौन है. मैने अपना नाम लेकर बताया और दरवाजा खोलने को कहा. उसने कहा दो मिनट तो मैने फिर झिर्री से झांका. अजय ने दरवाजा खोला और रीना की नाईटी लेकर बाहर निकला और एक तरफ मुड़ गया. दरवाजा पुरा खुला हुआ था और रीना बिना कपडो़ के एक कोने में उकडु़ बैठी थी. उसने अपने स्तन अपने जाघो मे छुपा रखा था. थोडी़ देर में अजय दिखा वो नाईटी सुखा रहा था और रीना की साडी़ ब्लाऊज लेकर बाथरूम मे चला गया. फिर उसने जल्दी जल्दी बदन पर साबुन लगाया और टावेल लपेट कर बाथरूम से निकला, निकलते हुए उसने बाथरूम का दरवाजा टिका दिया. कुछ रुक कर उसने दरवाजा खोला. मै अंदर गया और बिस्तर पर बैठ गया. मैने रीना के बारे मे पुछा तो उसने बताया की क्योकि मुझे देर हो रही थी इसलिए वो घबरा गई थी और मुझे बाहर धुंधने गई है. मै जानता था कि वो झुठ बोल रहा था पर क्या करूं कुछ समझ नही आ रहा था. अजय ने मुझसे कहा कि मै बैठ कर रीना का इंतजार करू और वो नहा कर आ रहा है. मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बाथरूम मे घुस चुका था और बाथरूम का दरवाजा बंद कर चुका था.
मै अपने होशोहवास खो चुका था, मेरी नई नवेली दुल्हन बिना कपडो़ के अपने से काफी कम उमर के लड़के के साथ बाथरूम मे बंद थी और ये जानते हुए कि मै कमरे मे हूं चिल्ला नही रही थी. शायद एक लड़के के साथ इस स्थिति मे पकडे़ जाने का डर और शर्म ने उसे चुप रहने पर मजबूर कर दिया था,या शायद अजय ने डराया धमकाया होगा.
मैं बहुत उत्सुक था ये जानने के लिए कि अंदर हो क्या रहा है. इसलिए दबे पांव मै बाथरूम के दरवाजे तक गया और झिर्री से अंदर झांक कर देखने लगा. अजय ने रीना को बाजू से पकड़ कर उठाया और चुप रहने का इशारा किया. रीना की नजरे निचे कि ओर थी और वो धीरे धीरे खडी़ हो गई. रीना का पुरा बदन थर थर कांप रहा था और पुरे बदन पर पसीना आ रहा था. अजय ने उसे दीवार से सटाया और उसके ऊपर ढह, उसका सीना रीना के स्तनो को दबा रहा था. उसने रीना की पीठ पर हाथ ले जाकर उसे बांहो मे जकडा़ और उसके गालो को चुमने लगा. रीना उससे बचने के लिए अपना सर इधर उधर करने लगी पर नाकाम रही. कुछ देर के बाद उसने रीना के होंठो को चुमने की कोशिश करने लगा. रीना आवाज तो नहीं कर रही थी पर अपना सर इधर उधर कर रही थी जिसके कारण वो उसके होंठो को चुम नही पा रहा था. उसने एक हाथ से रीना का चेहरा पकडा़ और उसके होंठो से अपने होंठ चिपका दिये. पुरी तन्मयता से वो रीना के होंठो का स्वाद लेने लगा. क्योकि रीना दरवाजे से ९० अंश के कोण पर खडी़ थी इसलिए रीना का बांया और अजय का दांया तरफ झिर्री की तरफ था. मैं अंदर से जल रहा था, जलन, गुस्सा, चिढ़, दुख और कुछ न कर पाने की मजबूरी मुझे अंदर से अजीब सा एहसास दे रही थी. दिमाग में यही चल रहा था कि कैसे अपनी पत्नी कि कौमार्य कि रक्षा करूं. मैने दरवाजा खटखटा कर कहा "अजय, जल्दी बाहर निकलो, मुझे भी अन्दर जाना है!" अजय ने रीना के होंठो को छोडा़ और गालो को चुम कर कहा, "पांच मिनट मेरे भाई, मुझे बस पांच मिनट लगेगा." अब पांच मिनट कुछ बोल ही नही सकता था. अजय ने रीना के होंठो को छोड़ कर थोडा़ नीचे झुका, और रीना के निप्पल को चुसने लगा. बीच बीच में वो रीना के स्तनो को मसल भी रहा था. २-३ मिनट तक रीना के स्तनो को मसलने के बाद वो खडा़ हुआ तो रीना ने हाथ जोड़ कर उसे कहा, "प्लीज, मुझे छोड़ दो, मुझे बरबाद मत करो." वैसे रीना ने इतने धीरे कहा था कि आवाज सिर्फ अजय को सुनाई दे पर होंठो के हिलने के अंदाज से पता चल रहा था कि वो क्या बोल रही है. अजय ने आंखे निकाल कर कहा, "साली कुतिया! मुंह बंद कर, वर्ना इतने बेरहमी से चोदुंगा कि चीखने लगोगी, तेरे मियां के पता चल जायेगा वो अलग, कुछ नहीं बोला तो ठीक वरना तेरे मियां को यही काट कर गाड़ दुंगा, और तेरे को तब तक अपनी रखेल बना कर रखुंगा जब तक तेरे जिस्म से मेरा दिल नही भर जाता, फिर तुझे किसी कोठे पर बेच दुंगा. इसलिए अपना मुंह बंद रख और ज्यादा नौटंकी मत कर." डर रीना के चेहरे पर साफ झलक रहा था, डर तो अजय के शब्दो से मुझे भी लग रहा था. अजय कसरती बदन का था, मुझसे उंचा भी था, मै किसी भी तरीके से उससे नही लड़ सकता था और अगर वो सच बोल रहा था ये सोच कर भी मेरी सांस रुकने लग रही थी. पर फिर भी रीना को किसी न किसी तरीके से बचाना ही था तो कोशिश तो करना ही था.
मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, "अजय पांच मिनट हो गये!" अजय ने फिर चिल्ला कर कहा, "पांच मिनट और भाई." मुझे फिर पांच मिनट के लिये खामोश होना पडा़. अजय ने हाथ फिराते हुए हाथ रीना के योनि तक ले गया और एक उंगली रीना कि योनि मे डाल दिया. रीना ने चुहंक कर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ विराम देने के बाद अजय ने फिर उंगली रीना कि योनि मे अंदर की तरफ घुसाया. रीना चुहंकी तो नही पर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ थोडा़ विराम दे कर अजय यही हरकत दुहराता रहा. रीना की शरीर में एंठन साफ दिख रहा था. लगभग तीन मिनट में रीना ने योनि रस छोड़ दिया. कुछ पल का विराम देने के बाद अजय ने रीना के सारे शरीर पर हाथ फेरा और उसे कंधो से दबा कर घुटनो के बल बैठा दिया. उसने अपना लिंग का छोर रीना के होंठो पर रख कर दबाव डाला. लिंग रीना के मुंह मे चला गया और रीना की सांसे रुकने लगी. उसका लिंग बहुत मोटा और लम्बा था. वो रीना को मुख मैथुन करने को कह रहा था पर रीना इससे अंजान थी तो उसने खुद ही लिंग अंदर बाहर करने लगा. अपने हाथो से उसने रीना के स्तन पकड़ रखे थे और वो उसे जोर जोर से मसल रहा था. मैने फिर से दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो जवाब देने कि स्थिति मे नही था. उसे बहुत मजा आ रहा था और ये चेहरे पर साफ झलक रहा था. मैने दो तीन बार और दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. कुछ ही देर में अजय ने रीना का सर बालो से पकड़ लिया और अचानक ही उसके शरीर की एंठन शांत हो गई. उसने अपने बीज रीना के मुंह मे ही छोड़ दिया था. उसके अलग हटते ही रीना ने सारा वीर्य एक तरफ उगल दिया.
मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, वो अपना लिंग सहलाने मे व्यस्त था. लिंग फिर से आकार लेने लगा. वो रीना के साथ जो कर चुका था वो तो कुछ नही था उसके सामने जो वो करने कि तैयारी कर रहा था. मैने इस बार जोर से कई बार दरवाजा खटखटाया. अजय ने एक झटके से दरवाजा खोला और गुर्राते हुए मेरा कॉलर पकड़ लिया. मुझे लगभग झंझोड़ते हुए कहने लगा, "सुनो मियां, मुझे और ३० मिनट या ज्यादा अंदर लग सकता है, क्योकि मै अपने हिसाब से नहाता हूं, कोई मुझे नहाते हुए डिस्टर्ब करता है तो मै उसका मुंह तोड़ देता हूं. तो अगर तुमको बाथरूम मे काम है तो गली के मोड़ पर सार्वजनिक शौचालय में चले जाओ. खबरदार जो मुझे डिस्टर्ब किया वरना बाहर आकर तुम्हारा मुंह तोड़ दुंगा. समझा!" मैने सहमति मे सर हिला दिया और उसने धर से दरवाजा बंद कर दिया. अब दरवाजा खटखटाने का तो प्रशन ही नही उठता था तो मैने झिर्री में आंख गडा़ दी.
अजय ने रीना के कंधे को दबाते हुए उसे ज़मीन पर चित लिटा दिया और उसकी टांगे चौडी़ कर दी. उसकी योनि द्वार से गुलाबी फांक साफ दिख रही थी. और गीलापन भी झलक रहा था. अजय रीना के ऊपर लेट गया और कुछ देर तक उसके होंठो और गले को चुमता रहा. फिर उसने अपने लिंग को उसके योनि पर रखा और रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट कर दिया. अगले ही पल मेरी दुख का बांध फूट गया, एक झटके से उसने अपना लिंग रीना के योनि मे प्रविष्ट कर दिया. रीना की आंखे कटोरो से बाहर आने लगी और वो अपना पैर फेंकने लगी. अगर रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट न किया होता तो रीना चीख पडी़ होती. रीना का कौमार्य भंग हो गया था. अजय कुछ देर तक स्थिर रहा जब तक रीना ने अपने हाथ पैर झटकने बंड नही किये. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया. जब रीना पुरी तरह से स्थिर हो गई तो उसने रीना के मुंह पर अपने हाथ हटा लिया. धीरे धीरे धक्के होने लगे. जब धक्के लगा कर थक जाता था तो थोडी़ देर रुक कर रीना के होंठ चुमता था और स्तनो को मसलता था. आराम करके फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर देता था. लगभग १५ मिनट बाद उसका शरीर एंठ गया और चेहरे के भाव से पता चल रहा था की वो अपना बीज अंदर ही छोड़ रहा था. फिर उसने अपना लिंग बाहर खींचा. लिंग वीर्य से और खून से सना हुआ था. थोडा़ अलग हट कर अजय नहाने लगा और रीना उकडू़ होकर बैठ गई.
तभी पिछे से दरवाजा खुलने कि आवाज आई तो मैं झट से बिस्तर पर बैठ गया. दरवाजे पर आर्यन था और वो अंदर आ गया. उसने रीना कि बारे में पुछा तो मैने कहा ही वो पास ही घुमने गई है. उसने बताया कि उसे वापस आश्रम जाना है और वो नहाने आया था. उसने अजय के बारे मे पुछा आउर बाथरूम की तरफ जाकर अजय को आवाज दी. फिर वो दोनो पंजाबी में बात करने लगे. दो मिनट मे आर्यन टावेल लपेट कर बाथरूम के सामने खडा़ था. मै उसे बाथरूम में घुसने से कैसे रोकुं यही सोच रहा था कि अजय गेट खोल कर बाहर आ गया. वो पुरी तरह तैयार था इसलिए सीधे बाहर चला गया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही आर्यन अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया.
मैं अपनी उत्सुक्ता दबा नही पाया और झिर्री से अंदर झांकने लगा. आर्यन ने जैसे ही पलट कर देखा तो रीना को बिना कपडो़ के उक्कडू़ बैठे पाया. उसने इशारे से उसे उठने को कहा और उसी दीवार से उसे टिका कर खडा़ कर दिया जिस दीवार से अजय ने रीना को टिका कर खडा़ किया था. हालाकि दोनो इतने धीरे बोल रहे थे कि बाहर आवाज़ न आये पर होंठो के हिलने से पता चल रहा था कि दोनो क्या बात कर रहे हैं!
आर्यन ने कहा, "अभी तो अजय बाहर निकला है, तुम क्या कर रही थी अजय से साथ अंदर?" रीना ने नजरे झुका कर कहा, "अजय ने मुझे जबरदस्ती अंदर खींच लिया था." आर्यन ने पुछा, "तुम्हारा पति कहा था उस टाईम?" रीना ने कहा, "वो बाहर गये थे खाना लेने, अजय नहाने आया था, नहाने के लिए अंदर घुसा और मुझसे टावेल मांगा, मै टावेल देने आई तो मुझे अंदर खींच लिया." आर्यन ने कहा, "बहुत कमीना है, है मेरा रिश्तेदार पर बहुत कमीना." आर्यन ने फिर पुछा, "तुम्हारे पति को पता है कि तुम अंदर हो?" रीना ने न मे सर हिलाया. आर्यन ने फिर पुछा, "क्या क्या किया अजय ने, सिर्फ ऊपर ऊपर मज़ा लिया या सब कुछ कर लिया?" रीना की नजरे झुकी हुई थी, वो थोडी़ देर रुक कर बोली, "सब कुछ कर लिया." आर्यन थोडी़ देर रुक कर बोला, "तुम चिल्लाई क्यो नही." रीना ने कहा, "उसने मुझे धमकी दी थी, मैं डर गई थी." आर्यन ने पुछा, "तुम्हे मालूम है कि तुम्हारा पति बाहर ही बैठा है." रीना ने सहमति में सर हिलाया. आर्यन ने आगे कहा, "अब जो हो गया सो हो गया, तुम अपने पति को कुछ मत बताना, मै उसे बाहर ले जाऊंगा और कह दुंगा कि तुम मेरे साथ आश्रम गई थी." रीना ने कहा, "आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने मेरी परेशानी आसान कर दी, पता नही मैं आपका कर्ज़ कैसे चुकाऊंगी." मेरे खुद के नजर मे आर्यन की इज्जत बढ़ गई थी पर अगले ही पल उतर भी गई. आर्यन ने अपने दोनो हाथो से रीना के दोनो स्तन थाम लिया और उन्हे सहलाने और मसलने लगा. उसने कहा, "एहसान का बदला तो अभी ही वसूल लुंगा, जो अजय करके निकला है मै भी वही कर लेता हूं." रीना कुछ कहना चाहती थी उससे पहले ही आर्यन ने कहा, "एक बार तो अजय सब कर चुका है, मै भी कर लुंगा तो तुम्हारा कुछ नही जाएगा." रीना ने उसे स्तनो से खेलने से रोका तो नही पर एक सवाल पुछा, "अभी तो आप अजय को गालियां दे रहे थे, आप भी तो वही कर रहे हैं." आर्यन ने रीना के होंठो को चुमा और मुस्कुरा कर कहा, "अजय तुम्हे मुसीबत में डाल कर गया है और मै तुम्हे मुसीबत से निकाल रहा हूं, इतना तो अंतर है ही. पर अगर तुम्हे परेशानी है तो चलो बाहर चलते है और मैं तुम्हारी तुम्हारे पति से आमना सामना करवा देता हूं." एक डर की लहर रीना के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी, उसने थोडा़ रुक कर कहा, "नही! मुझे कोई परेशानी नही है, आप कुछ भी कर सकते है, मुझे सब शर्ते मजूंर है, पर अजय तो कोई नहीं लगता उनका पर आप तो उनके दोस्त हैं आपको भी तो दिक्कत होगी अगर उनको पता चल जाए." आर्यन ने कहा, "मानता हूं अजय कमीना है, पर मैं भी कम नही हूं, अगर तेरे पति मुझसे उलझेगा तो मै भी वही करूंगा जो अजय कर सकता है. तुझे जी भर के नोचुंगा और फिर कोठे पर नुचवाने के लिए छोड़ दुंगा."

 

मैने चुप रहने में ही भलाई समझी, आर्यन जोर जोर से रीना के स्तनो को मसलने लगा. दर्द की लहर रीना के चेहरे पर दिख रही थी पर आवाज मुंह से नही निकल रहा था. संतुष्ट होने के बाद आर्यन रीना के निप्पल चुसने लगा, बारी बारी से एक एक निप्पल को आराम से चुसता रहा पर बीच बीच मे रीना के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो निप्पल को चबा भी रहा था. संतुष्ट होने के बाद उसने रीना के होंठो को चुमना शुरू किया और साथ ही रीना के योनि में भी उंगली डाल दी. जब भी आर्यन उंगली अंदर डालता था तो रीना थोडा़ उछल जाती थी. काफी देर बाद वो अलग हुआ और अपना टावेल उतार दिया. आर्यन का लिंग किसी भी तरीके से अजय से रत्ती भर भी कम नही था, बल्कि ज्यादा ही था.  आर्यन का लिंग देख कर रीना के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी. आर्यन ने रीना के टांगो को फैलाया और अपना लिंग रीना के योनि द्वार पर सटाया. रीना को समझ आ गया था कि क्या हो सकता है इसलिए उसने खुद अपने मुंह पर ढक्कन लगा लिया. उसने अपने हाथ से अपना मुंह बंद कर ली थी. आर्यन ने रीना के दोनो कंधो को पकडा़ और जोर से धक्का लगाया. पुरा लिंग अंदर समा गया, रीना के चेहरे पर दर्द की लहर दिख रही थी. वो चीखना भी चाहती थी पर मेरे बाहर होने के डर से उसने आवाज दबा ली. आर्यन ने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरु किया. लगभग ३ मिनट के बाद रीना उन धक्को से अभ्यस्त हुई और उसने अपने मुंह से अपना हाथ हटा लिया. आर्यन के धक्के इतने तीव्र थे कि ऐसा लग रहा था कि वो अपने बदन के भार से रीना को अपने और दीवार के बीच पीस देगा. धीरे धीरे धक्को का वेग तेज होता गया और एक समय पर आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया. उसने थोडे़ देर तक रीना के निप्पल और होंठो को चुसा और अलग हो गया. फिर दोनो साथ मे नहाए. मैं फौरन बिस्तर पर बैठ गया. आर्यन कपडे़ पहन कर बाहर आ गया. बाहर आते समय उसने बाथरूम का दरवाजा भीडा़ दिया.
आर्यन ने बडे़ भोलेपन से पुछा रीना के बारे में, मैने उसे बताया कि वो अभी तक नही आई है. उसने कहा कि अगर मुझे चिंता हो रही हो तो मैं रीना को धुंधने जा सकता हूं वो तब तक यही रूक जायेगा. मैं भी कोई फसाद नही करना चाहता था तो बाहर निकल गया. लगभग ३० मिनट के बाद वापस आया तो रीना आर्यन के साथ कमरे में बैठी थी. मैने उस से बस इतना ही कहा कि नये शहर में अकेले नही घुमने जाना चाहिए. आर्यन ने बीच मे पड़ कर कहा, "तुम व्यर्थ मे चिंता करते हो भाई, ये शहर आश्रम के लिए मशहूर है. इस शहर में कभी कुछ गलत नहीं हो सकता." मैने और बहस करने कि अपेक्षा चुप रहना ही उचित समझा. आर्यन के जाने के बाद रीना ने चुप चाप खाना खाया और सो गई.
मुझे पता था कि सुबह तक कोई ट्रेन नही थी तो सुबह तक रुकना मजबूरी थी, फिर भी अपने तरीके से होटल धुंधना शुरू किया पर नाकामयाब रहा. रात में ठीक आठ बजे आर्यन आ गया. उसने खाने के बारे में पुछा तो मैने बताया कि रीना के साथ बाहर खाने जाऊंगा. उसने अजय को फोन किया और कुछ देर पंजाबी में बात करने के बाद बताया कि अजय शायद रात में आश्रम में ही रुकेगा. उसने कहा कि अब तो जिंदगी भर मै रीना के साथ ही खाऊंगा एक दिन उसके साथ खा लु, वापसी में रीना के लिए ले आयेंगे. बहुत जिद करने के बाद मैने हा कह दिया और हम पास ही एक होटल में आ गये. एक कैबिन में बैठने के बाद आर्यन ने कहना शुरू किया, "सैम! मै जानता हूं कि रीना के साथ जो मैने और अजय ने किया वो तुम जानते हो, और मुझे उसका अफसोस भी नही है. अगर तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो, पर ट्रेन तो सुबह ही है. अभी निकल कर स्टेशन पर इंतिजार ही करोगे. और हमारा भी डर बढा़ दोगे, जिसमे हम कुछ उलटा सीधा कर सकते है. सुबह पुरे सत्कार के साथ जाओगे तो हमें बहुत खुशी होगी." मुझे तो उसकी बातो से बहुत डर लग रहा था तो मैने कोई जवाब नही दिया. उसने फिर पुछा कि अभी जाओगे या सुबह. मैने धीरे से कहा सुबह. उसने कहा की रात भर रुक रहे हो तो एक बात बता ही देता हूं. रात में ९ बजे के आसपास अजय आयेगा तो हम लोग फिर से एक बार रीना के साथ आन्नद लेगे. तुम बीच में मत पड़ना नही तो मुसीबत में आ जाओगे. हम बाथरूम के बजाए बिस्तर पर ही उसके साथ सब कुछ करेंगे. अगर तुम्हे अच्छा न लगे तो बाहर चले जाना. सुबह पुरे सत्कार के साथ तुम्हे विदा करेंगे. मुझे उसके बातो के विश्वास पर बहुत अचरज हो रहा था. वो एक पति के सामने ही ये कह रहा था कि वो और उसका रिश्तेदार आज रात में उसकी पत्नी को उसी के सामने भोगेंगे और या तो वो खडे़ होकर देखे या मुंह छुपा कर बाहर भाग जाये. पर मेरी स्थिति मे उसका पलडा़ भारी था, मैने कुछ जवाब नही दिया. वो मुस्कुराया और खाने के बारे में पुछने लगा तो मैने कह दिया कि मुझे खाने का मन नही है. उसने कहा कि वो समझ सकता है तो उसने रीना के लिए कुछ बंधवाया और हम वापस चले आये. रीना को खाने के लिये दिया तो उसने भी बेमन से थोडा़ ही खाया और बाथरूम जा कर मैक्सी पहन कर आ गई. आर्यन ने लुंगी पहन ली और मैने भी कपडे़ बदल लिये. रीना निचे ही लेट गई और सोने कि कोशिश करने लगी.
कुछ ही देर मे अजय आ गया और उसने आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की. उसके बाद उसने रीना को आवाज लगा और उठने को कहा. रीना उठ कर बैठ गई. उसने रीना को खडे़ होकर पास आने को कहा. रीना मुझे देखने लगी पर मैं कोई प्रतिक्रिया नही कर सका. उसने रीना की तरफ देखा और पास आ कर उसे हाथ से खींच कर उठाया और अपने पास खडा़ कर लिया. रीना बार बार मुझे ही देख रही थी, अजय ने पुच्कारते हुए कहा, "रीना, बाथरूम जाओ और सारे कपडे़ उतार कर आ जाओ."  उसने एक झटके से अजय को देखा फिर मुझे देखा. अजय ने आगे कहा, "उसे क्या देख रही हो, हमारे आश्रम का नियम है कि चीजो को मिल बांट कर भोगते है, तुम्हारे पति भी आश्रम के सदस्य है तो तुम्हे भी मिल बांट कर भोगेंगे. अब जल्दी जाओ." रीना ने फिर मुझे देखा तो मैने सर झुका लिया. वो चुपचाप बाथरूम में घुस गई, २ मिनट मे बाहर आई तो बिलकुल निर्वस्त्र थी. मैं चोर नजरो से उसे देख रहा था. अजय ने मुस्कुरा कर उस से बिस्तर पर चित लेटने को कहा. वो थोडा़ झिझकी फिर बिस्तर पर जाकर लेट गई. अजय और आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की और दोनो उसके अगल बगल जा कर लेट गये. दोनो ने उसके एक एक स्तनो को थाम लिया और निप्पल को चुसने लगे. एक एक हाथ रीना के जांघो के बीच रख कर बारी बारी से रीना के योनि मे ऊंगली घुसाते रहे. कुछ ही देर मे उन्होने रीना के दोनो स्तन थाम लिये और उसके निप्पल को चुसते हुए उसके स्तनो को मसलने लगे. रीना दर्द से कसमसाने लगी. कुछ देर मे पश्चात दोनो संतुष्ट हुए तो उठ कर दोनो ने कपडे़ उतार दिये. पहला नम्बर आर्यन का था. वो रीना के टांगो को फैला कर उस पर चढ़ गया और कुछ देर तक उसके होंठो को गाल को, गले को चुमता रहा. फिर उसने अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग इतना था की रीना की चीख निकल गई. आर्यन धीरे धीरे धक्के लगाने लगा, धीरे धीरे धक्को का वेग बढ़ने लगा और साथ ही रीना की कराहे भी और एक चरम पर पहुंचने के बाद आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया. आर्यन के उठते ही अजय रीना के टांगो के बीच आ गया और अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग तो बहुत था पर रीना सह गई. अजय धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. लगभग १५ मिनट के बाद अजय ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया.
इस बीच आर्यन अपने लिंग को सहला रहा था, अजय ने भी अपना लिंग सहलाना शुरू किया, कुछ ही देर मे लिंग फिर से तन गया था. मुझे समझ आ रहा था कि उनका एक और राऊंड का विचार था, उन्होने दराज से क्रीम निकाली और अपने अपने लिंग पर लगाने लगे. जब पुरी तरह से क्रीम से अपना लिंग भींगा चुके तो अजय ने रीना को टांगो से पकड़ कर बिस्तर के नीचे की तरफ खींचा, रीना कमर तक बिस्तर पर थी और रीना को उलटा लिटा दिया. उसकी टांगे निचे को झुल रही थी. इस से पहले कि मैं या रीना कुछ समझ पाते अजय ने अपना लिंग पीछे के छेद कर लगाया और रीना के स्तनो को अपने दोनो हाथ में कस कर भींच लिया. उसने एक झटके से अपना पूरा लिंग रीना के पीछे के छेद में अंदर तक घुसा दिया. रीना के मुंह से चीख निकल गई. चीख इतनी तेज थी कि मुझे खुद सिहरन होने लगी. अजय कुछ देर रूका रहा जब तक रीना पुरी तरह से शांत नही हो गई. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरी किया. हर एक धक्को पर रीना की सिसकी निकल रही थी. अजय बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता. लगभग २० मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. उसके हटते ही आर्यन ने वो जगह ले ली. उसने भी धीरे धीरे धक्के लगाना शुरी किया. अजय की तरह ही आर्यन भी बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता रहा. लगभग १५ मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. दोनो ने रीना के दोनो छेदो को गीले कपडे़ से पोछा और चित बिस्तर पर लिटा दिया. दोनो उसके अगल बगल लेट गये और अपना अपना चेहरा रीना के गले के पास रख लिया. अजय ने अपना एक हाथ रीना के पेट कर और आर्यन ने छाती पर रख लिया. दोनो ने अपनी एक एक टांगे रीना की टांगो पर चढा़ दी और बारी बारी से रीना के गाल, गले, और होंठो को चुमते रहे. बारी बारी से रीना के स्तनो को सहलाते और हलके हाथो से मसलते रहे. आर्यन ने मुझसे कहा, "सैम, तुम नीचे ही सो जाओ, हम भी सो रहे है." मैने रीना की तरफ देखा तो अजय ने कहा, "इसे हमारे बीच ही सोने दो, बहुत थक गई है, बिस्तर पर अच्छी नींद आयेगी." मैं बहस नही करना चाहता था इसलिए नीचे ही लेट गया.
रात मे आंख लग गई तो सुबह ही खुली, रीना और अजय बिस्तर पर नही थे सिर्फ आर्यन ही बिस्तर पर लेटा हुआ था. मुझे देख कर बोला, "अजय और रीना बाथरूम में नहा रहे है, इसके बाद मैं नहाऊंगा, उसके बाद तुम नहा लेना, अभी ट्रेन के लिए २ घंटे है. अजय तो नही जा पाऐगा पर मैं तुम दोनो को स्टेशन तक छोड़ दुंगा." मैंने कहा कुछ नही बस सर हीला दिया. आर्यन ने आंखे बंद कर ली तो मैं टहलते टहलते बाथरूम के गेट तक पहुंच गया. बाथरूम का गेट आधा खुला हुआ था तो मैने अंदर झांका. अंदर रीना और अजय बिना कपडो़ के खडे़ थे. दोनो के बदन भीगे हुए थे और रीना के बदन पर अजय साबुन लगा रहा था. जिस समय मैने अंदर झांका था वो रीना के स्तनो पर साबुन लगा रहा था. साबुन के बहाने वो रीना के स्तनो को कस के मसल रहा था. जब वो पुरी तरह से साबुन लगा चुका तो उसने खुद साबुन लगाया और फिर दोनो नहा लिये. अजय बाहर आने को हुआ फिर रुका और उसने रीना को ज़मीन पर लिटा दिया. वो खुद रीना पर लेट गया और उसकी योनि मे लिंग घुसा दिया और थोडी़ तेजी से धक्के लगाने लगा. १५ मिनट मे संतुष्ट होने के बाद खुद भी उठा और रीना को भी उठाया और एक बार फिर दोनो नहाये. नहाने के बाद अजय ने रीना के और खुद के बदन को पोछा और अपने कमर पर टावेल लपेट लिया. फिर रीना को गोद में उठा कर बाहर आ गया. मुझे बाथरूम के गेट पर खडा़ देख कर गुर्राते हुए बोला, "खा नही जाऊंगा तुम्हारी पत्नी को जो हर वक्त नजर रखे रहते हो!" आर्यन ने उसे डपटते हुए कहा, "क्या अजय? सैम ने तो अपने भाईचारे का सबूत दिया है, अपनी नई नवेली दुल्हन की नथ उतारने दिया है, और रात भर उसे भोगने भी दिया है. तुम फिर भी उस पर नाराज हुए जा रहे हो." अजय ने आर्यन से कहा, "चाचा भाईचारे में नही डर में, और मै क्या कम भाईचारे का सबूत दे रहा हूं, इसकी पत्नी मुझे इसके साथ जाने दे रहा हूं. वरना इसकी पत्नी तो मुझे इतनी पसन्द है कि मै इसे अपनी रखेल बना कर रख लेता, खुद भी इसकी जवानी का रस चुसता और अपने दोस्तो को भी इसकी जवानी चखाता." न आर्यन ने कुछ कहा न मैने कुछ कहा.
अजय रीना को गोद मे लेकर बैठ गया और आर्यन बाथरुम में घुस गया. नहा कर बाहर आया तो मुझे अंदर भेज दिया. मैं जल्दी जल्दी नहा कर बाहर आया दो देखा कि अजय तैयार होकर जा चुका था और रीना घुटनो के बल बैठी आर्यन के लिंग को चुस रही थी. साफ पता चल रहा था कि ये करने का रीना का बिल्कुल मन नही था और आर्यन उससे जबरदस्ती ये करवा रहा था. १० मिनट के बाद आर्यन रीना के मुंस में ही संखलित हो गया. रीना ने उसका वीर्य बाहर थूक दिया. उसके बाद आर्यन तैयार हो गया. मै भी तैयार हो गया पर आर्यन ने रीना को कपडे़ नही पहनने दिये. उसके बाद सबने बैठ कर नाश्ता किया. रीना बिना कपडो़ के ही बैठ कर नाश्ता की. फिर तैयार होने लगी.
उसके बाद हम तीनो स्टेशन पहुंचे. मैंने सामान ट्रेन में रखा और रीना को अंदर बैठा दिया. आर्यन ने मुझे प्लेटफार्म पर बुला लिया और बाते करने लगा. उसने कहा, "सैम, हम जानते है कि ये सब तुम्हारे लिए अच्छा अनुभव नहीं था, पर अजय तुम्हरी पत्नी को देख कर सैयम नही रख सका और न ही मैं. अब जो हुआ उसे भूल जाओ और अपनी जिंदगी जियो." मैने कोई जवाब नही दिया तो उसने आगे कहा, "अच्छा पहलु देखोगे तो रीना को यौन कला में निपुर्ण कर दिये है और उसका हर एक छेद खोल दिये है, तुम्हे किसी भी क्रिया में परेशानी नही होगी, अब रीना को सम्भोग का स्वाद लग गया है, उसे उपेक्षित मत कर देना, वरना अपने ही घर मे नौकरो के साथ रीना को बाथरूम में पाओगे." ट्रेन ने सिग्नल दिया तो मैं बिना कुछ बोले ही ट्रेन में चढ़ गया. हनीमून पर जाने के बजाय हम घर वापस आ गये. २ हफ्ते लगे इस झटके से उबरने में और उसके बाद ही मैने रीना के साथ पहली बार सम्भोग किया. फिर धीरे धीरे आश्रम की यादे धुंधली होती गई और हम अपनी जिंदगी में बस गये.
 

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