मैं संजय के साथ आज डांस क्लब में डिनर पर आई थी। स्टेज पर डांस चल रहा था। संजय और मैं रिजर्व टेबल पर बैठ गये थे। बैरा ड्रिन्क लाकर रख गया था… मैने अपने लिये गोवा का मशहूर जिंजर वाईन मंगवाया था। हम दोनों भी उस माहौल में धीरे धीरे रंगने लगे थे। थोड़ी देर में सन्जय मेरे साथ डांस फ़्लोर पर था। हल्का नशा था … डांस में मजा भी आ रहा था … मैं भी अपने डांस को सेक्सी बनाने लगी। अपनी चूंचियां उछाल उछाल कर सन्जय को रिझाने लगी। इतने में मुझे राज अकेला नाचता हुआ नजर आ गया। मैं चौंक पडी ! ये आज यहां कैसे? तुरन्त मेरे तेज दिमाग में एक प्लान उभर आया।
मैने सन्जय से कहा,"सन्जू… वो राज है, मेरे पुराने मिलने वालों में से है ! तुम रेस्ट करो ! मैं उस से मिल कर आती हूं !" संजय वैसे भी ड्रिन्क करना चाहता था। सो वह अपनी टेबल पर चला गया। मेरे दिल में राज को देखते ही हलचल मच गयी थी। मैं डांस करती हुयी राज के पास आ गयी। मुझे देखते ही वो चौंक गया,"अरे रोज़ी तुम ! कैसी हो ?"
"हाय राज ! तुम बताओ शीना की डेथ के बाद अब मिले हो !"
राज़ सकपका गया। शीना मेरी गहरी सहेली थी, उसकी सारी बातें मैं जानती थी, पर राज को ये नहीं पता था कि शीना की कोई हमराज़ भी है।
"हां ! मैं दिल्ली चला गया था, शीना का बिजनेस भी तो सम्हालना था, आज तो तुम बड़ी सेक्सी लग रही हो !"
"ऐ !! इधर से नजरें हटाओ, वर्ना मर ही जाओगे !"मैने उसे अपने स्तनों की तरफ़ इशारा किया, फिर अपनी चूंचीं उछाल दी।
"हाय ! रोज़ी ! सच में, तुम्हारी इसी अदा पर तो मरता हूं !"
मै उसकी कमर में हाथ डाल कर उससे चिपकने लगी। उसने भी मेरे उरोज अपनी छाती से भींच दिये। मुझे लगा राज दिलफ़ेंक तो है ही, जल्दी पट जायेगा !
"आऊच ! क्या करते हो, ये तो नाजुक है, जरा धीरे से !"
राज मचल उठा। उसने धीरे से मेरी चूंचियां दबा दी, हाथ मेरे चूतड़ों की तरफ़ बढ चले।
"मस्त हैं तुम्हारी चूंची तो !"
"अरे! इतनी अच्छी भाषा बोलते हो !" मैने भी उसे बढावा दिया।
"तो फिर हो जाये एक दौर !!" राज़ ने चुदाई की ओर स्पष्ट इशारा किया।
" कैसा दौर ? राज ! साफ़ कहो ना !"
"तुम और मैं ! और मस्ती का दौर !"
"चुप ! अभी सन्जू है, कल दिन को रखते है, मैं सीधे तुम्हारे घर पर ही आ जाऊंगी।" मैने उसे समय दे दिया और मैं जाने लगी। राज मुझे जाने ही नहीं दे रहा था।
जैसे तैसे मैंने उससे पीछा छुड़ाया और सन्जू की टेबल पर आ गयी।
संजय सब समझ चुका था। हमने डिनर लिया और सजय ने मुझे घर छोड़ा फिर अपने घर चला गया।
अगले दिन -
दिन के ग्यारह बज रहे थे। मैने बुर्का पहना और राज के घर चली आयी। राज मुझे देखते ही खुश हो गया।
"मैं फोन करने ही वाला था कि तुम आ गयी।"
"मेरा फोन नम्बर तुम्हरे पास है क्या"
"नहीं ! पहले तुम्हारी सहेली को करता उस से नम्बर ले लेता।" मैने चैन की सांस ली और बुर्का उतार दिया।
राज ने मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और मुझे चूमने लगा।
"राज पहले ड्रिंक, फिर मजे करेंगे।"
"ओके ! तुम्हारे लिये क्या बनाऊं? हार्ड या बीयर ?"
"नहीं बस तुम पियो !"
"ये हाथ के मोजे तो उतार दो !"
"नहीं !हाथ जल गया था !" उसने ड्रिंक लेनी शुरु कर दी, मैं उसके पास ही बैठ गयी। अब वो धीरे धीरे मेरे जिस्म से खेलने लगा। मुझे भी रंग चढने लगा. मैंने उसे चूमना चालू कर दिया। उसने भी जवाबी हमला बोल दिया। उसने सीधे मेरी चून्चियो को दबा डाला। मुझे एकदम से तरन्ग आ गयी। मैने अपने बोबे उसके सामने तान दिये, वो मेरे दोनो उरोज पकड़ कर दबाने लगा। मैं अपनो उरोजो को और आगे उभार कर उसके हाथों पर जोर डालने लगी। ऐसे मुझे और भी मजा आने लगा।
"दबा मेरे राज, ये ले मेरी कड़क चूंचिया, मसल दे हरामी को !"
"मेरी रोज़ी तू तो बड़ी सेक्सी बातें करती है !" उसने पूरा गिलास एक झटके में पी लिया, मैने दूसरा गिलास बना दिया।
"राज आज मेरे मन की निकाल दे, शीना को तो तूने खूब चोदा है, मुझे क्यों छोड़ दिया था रे !!"
"मेरी जान अब चुद लो, शीना के होते हुये तुझे कैसे चोद सकता था?"
मै अब खड़ी हो गयी, और अपने गोल गोल चूतड़ उसके चेहरे के सामने कर दिये।
"राज इन नरम नरम चूतड़ों को भी मसल दो ना, साले बहुत बेताब हो रहे हैं!"
राज मेरे चूतड़ देख कर उतावला हो उठा। उसने अपना गिलास एक बार में खाली कर दिया। और मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबाने लगा। मैने अपने चूतड़ और फ़ैला दिये और उसकी ओर निकाल दिये। मैने उसका गिलास फिर से एक बार और भर दिया। राज़ ने मेरी सफ़ेद पैन्ट नीचे उतार दी और मुझे नन्गी कर दिया। मैने शर्माने का नाटक किया,"हाय मेरे राज ! मेरी चूत दिख रही है छिपा लो इसे !!"
उसने तुरन्त उपने होन्ठ मेरी चूत से चिपका दिये। मेरे मुख से आह निकल गयी। मैने अपनी पैन्ट नीचे से पूरी उतार दी। फिर अपना टोप भी उतार दिया। अपनी चूत को मैं अब जोर लगा कर उसके होंठो से रगड़ मार रही थी। मेरे शरीर मे वासना भरती जा रही थी। मुझे मीठी मीठी सी सिरहन होने लगी थी। अब राज़ अपनी जीभ से मेरा दाना चाट रहा था, मेरी चूत फ़ड़क उठी, मैं अपनी चूत उसके मुख पर मारने लगी। फिर जोर लगा कर उसके होठों से रगड़ने लगी। अब मेरी चूत काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी। मैने अपनी चूत दूर करके अब उससे चिपक कर बैठ गयी।
उसका लन्ड पैन्ट से बाहर निकलने को जोर मार रहा था। मैने उसकी ज़िप खोल कर उसका लन्ड बाहर निकाल लिया। बाहर आते ही जैसे उसके लन्ड ने राहत की सांस ली। फ़नफ़नाता हुआ सांप की तरह खड़ा हो गया, मैने प्यार से उसे पकड़ कर सहला दिया और उसे अपनी मुट्ठी में भर कर हौले से ऊपर नीचे करने लगी। राज़ मदहोश होता जा रहा था, मैने उसकी पैन्ट नीचे खींच कर उतार दी। ऊपर के कपड़े उसने स्वय ही उतार दिये। वो नशे में झूम रहा था, मैने उसके लन्ड दो अब खींचना और मसलना भी चालू कर दिया था। उसकी हालत बेकाबू होती जा रही थी।
"अरे मादरचोद! रन्डी… अब तो मेरा लन्ड चूत में घुसेड़ ले !"
"मेरे राजा अभी रूको तो ! तेरे लन्ड की मां तो चोदने दे !"
"हाय मेरी रानी ! तू कितना मस्त बोलती है रे! घिस दे इस हरामी को!"
मुझे लगा कि थोड़ा और घिसने से ये तो झड़ जायेगा। उसके लन्ड को झूमते देख कर मुझे भी चुदने की लगन लग गयी थी। मैने अपनी चूत का मुंह खोला और उसका कड़कता लन्ड चूत-द्वार पर रख दिया, उसे कहां चैन था, उसने तुरन्त ही नीचे से धक्का मार दिया। उसका लन्ड मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ गहराई में घुसता चला गया। मेरी मुख से कसकती हुयी आह निकल पड़ी।
मैने उसे सोफ़े पर ठीक से एडजस्ट किया और मै ऊपर ही उठने बैठने लगी पर राज़ ने मुझे तुरन्त हटाया और बिस्तर पर ला कर पटक दिया,"अब तेरी चूत का मैं भोसड़ा बनाता हूं ! रूक जा बहन की लौड़ी… !~"
"हाय राजा ! देख छोड़ना मत मेरी चूत को ! इसकी तो मां चोद दे यार ! "
" रोज़ी … ये ले … यस यस… क्या मस्त चूत है … आऽऽऽऽऽऽह् …"
"है न मस्त …… चिकनी और प्यारी सी… बस फ़ाड़ दे यार… दे धक्का… हाय री…"
"चुद जा …मेरी जान…… " राज़ और मैं गालियां पर गालियां मस्ती में दिये जा रहे थे…
चूत का पानी और धक्के … फ़च फ़च की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरी चूत में अब मीठा मीठा सा दर्द और तेज गुदगुदी उठने लगी। उसके धक्के अब मेरी जान निकाल रहे थे… मेरी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी … मेरी चूत अब पानी छोड़ने को मचल रही थी… मैने अपनी चूत को भींच लिया…… मेरी चरमसीमा आने वाली थी … मेरी चूंचियां राज बेरहमी से खींच रहा था… मसल रहा था … उसके चूतड़ तेजी से उछल रहे थे , उसका लन्ड इंजन के पिस्टन की तरह फ़काफ़क चल रहा था……
अचानक मैं छूट पड़ी…… मेरा पानी निकलने लगा।
"राजा मैं गयी … हाऽऽऽऽय्… मेरी चूत छूट गयी … मेरे बोबे छोड़ दे रे …… बस… अब बस कर …"
"कहां मेरी रानी … अभी तो चूत का भोसड़ा बना ही नहीं है…"
"छोड़ दे … हराम जादे … भोसड़ी के … तेरी मां को घोड़ा चोदे…"
"अरे … मेरी… रन्डी… छिनाल… चुद जा रे… नखरे छोड़ दे…"
उसी समय उसने मुझे जोर से जकड़ लिया… उसका लन्ड मेरी चूत मे गहराई तक गड़ गया……
"मैं गया … मेरा निकला…… माई चोदी रे… ऊऽऽऽऽऽईऽऽऽऽऽऽ…… हाय मेरी मां चुद गयी रे…… ये…ये… हाय निकल गया मेरी जान …" उसने तेजी से लन्ड चूत में से निकाल लिया। उसका वीर्य तेजी से पिचकारी के रूप में मेरे बदन पर बरसने लगा… मैने सारा वीर्य अपने बोबे और पेट पर मल लिया। उसका लन्ड पकड़ कर खींच खींच कर बाकी का वीर्य भी निकाल कर कर अपने शरीर पर मलती गयी। राज मस्ती में लन्ड उछालता रहा। नशा उस पर चढ चुका था… अब वो सुस्त पड़ने लगा……अब वो बिस्तर पर निढाल हो कर लुढक गया। नशा उस पर पूरा चढ चुका था … उसकी आंखे बन्द होने लगी थी…
मैने उसकी हालत देखी वो लगभग नींद में था … मैने तुरन्त ही बिस्तर पर से छलांग मारी और अपने पर्स को खोला… अब एक चमकता बड़ा सा खन्जर मेरे हाथों में था… दूसरे ही क्षण मेरा हाथ बिजली की तरह चला और उसका गरदन का आधा भाग कट गया… उसकी सांस की नली कट चुकी थी… उसकी फ़टी हुयी आंखे मुझे अविश्वाश से देख रही थी…
"ये मेरी शीना की हत्या का बदला है … बड़े खुश थे ना उसकी असीम दौलत पाकर…।"
और मेरे खन्जर का दूसरा वार सीधे उसके दिल पर था… उसकी आंखे फ़टी कि फ़टी रह गयी … मैं वहीं क्रूरता से मुस्कराती रही… उसकी जान जाते देख कर मुझे असीम शांति मिल रही थी … मेरे मन की आग शान्त हो चुकी थी। उसकी लाश अब मेरे सामने पड़ी थी… उसकी आंखे खुली थी… मैंने अपना खन्जर उसी के कपड़े से साफ़ किया… और उसे फिर से पर्स में रख लिया… मैंने अपने कपड़े सोफ़े पर से उठा कर पहन लिये। उसका मोबाईल भी अपने हवाले किया। अपना मेक अप ठीक किया… अपने दस्ताने उतार कर पर्स में रखे और ध्यान से कमरे का निरीक्षण किया… सन्तुष्ट हो कर मैने अपना बुर्का पहना और बाहर झांक कर देखा।
दोपहर का एक बज रहा था … मै चुप से बाहर आ गयी… मैं जल्दी से बाहर आई और पैदल ही एक तरफ़ चल दी… सड़क सूनी पड़ी थी… मै सामान खरीदने एक मोल पर आ गयी… मैने बाहर ही बुर्का उतारा और एक थैले में रख दिया… कुछ सामान खरीद कर बाहर आ गयी। सारा सामान थैली में रख कर बाहर आकर एक टूसीटर कर लिया … रास्ते में नदी के पुल पर से नदी में राज़ का मोबाईल फ़ेन्क कर रास्ते में उतर गयी। वहां से टेक्सी करके घर के पास उतर गयी… और पैदल ही घर की ओर चल दी…
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