Saturday, June 8, 2013

खेल खेल में भैया से चुदवाया


मुझे चुदाये हुए काफ़ी दिन हो गये थे। मेरा निशाना अब मेरा भाई था। अचानक ही वो मुझे सेक्सी लगने लगा था। घर पर पज़ामें में उसका झूलता लण्ड मुझे उसकी ओर आकर्षित करता था। उसे छुप कर नहाते हुए देखना मेरी आदत बन गई थी। जब कभी वो बाहर पेशाब करता था तो खिड़की से झांक कर मै उसका लण्ड देखा करती थी। वो भी मेरी नजरें पहचानने लग गया था। पर उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वो भी मुझे नहाते हुए देखने की कोशिश करता था, उसमें मैं उसकी सहायता भी करती थी। हमेशा ऐसी जगह खड़ी हो जाती थी कि वो आराम से देख सके। आज हम दोनों एक दूसरे पर जाल डालने की कोशिश कर रहे थे। जब दो दिल राजी तो क्या करेगा काजी।

हम दोनों बिस्तर पर रज़ाई डाले बैठे थे। अपने मोबाईल से खेल रहे थे। राहुल अपने दोस्तों की तस्वीरें दिखा रहा था। इतने में एक फोटो नंगी सी लगी।

"ये कौन है राहुल ... ?

" ये मैं हूँ ... देख मेरी बॉडी ... है ना सॉलिड ... !" उसने अपनी तारीफ़ की।

मैंने अंडरवियर की तरफ़ इशारा करके उसे छेड़ा,"और ये डंडा जैसा क्या है ... ?"

"चल हट ... ये तो सबके होता है ... " उसने झेंपते हुए कहा।

"पर इतना बड़ा ... "

"है तो मैं क्या करूं ... "

"ऐ ... मुझे बता ना कैसा होता है ये ... " मैंने उसे उकसाया।

"शरम आती है ... अच्छा पहले तू बता ... " राहुल ने शरमा कर कहा।

"हट रे ... लड़कियों के ये डन्डा नहीं होता है ... " मुझे सनसनी सी हुई।

"तो मुझे दिखा तो सही ... तेरे होता है, तू झूठ बोलती है ... "

उसने मेरी चूत पर हाथ मारा ... और हाथ फ़ेर कर बोला "अरे हां यार ... ये कैसे ... " मुझे जैसे बिजली का करंट दौड़ गया।

 मेरा मुँह लाल हो गया। पर मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिखाया।

"तेरे पास तो है ना ... " मैंने उसके लण्ड पर हाथ फ़ेरा। उसका लण्ड खड़ा हो गया था। वो भी एक बार कांप गया। उसने और फोटो निकाले।

"ये देख ... ये मेरा डन्डा है और ये देख ये रोहित का है ... "

राहुल बताता जा रहा था, मेरे मन में खलबली मच रही थी।

इतने में मम्मी ने खाने के लिये आवाज लगाई ... "क्या कर रहे तुम दोनों ... चलो अब !"

हम दोनो रज़ाई में से निकल कर भागे ... "खाने के बाद और दिखाऊंगा ... !"

खाना खा कर हमने फिर से टीवी लगा दिया।

"हम सोने जा रहे हैं !"

" ... बत्ती बन्द करके सोना ... " कह कर मां ने अपना कमरा बन्द कर दिया।

हमने अपना कार्यक्रम जारी रखा।

हमने रज़ाई अब एक तरफ़ रख दी थी। उसका खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिख रहा था। उसने जानबूझ कर के अपना लण्ड नहीं छुपाया था। उसका मन था कि मैं उसका लण्ड पकड़ कर मसल डालूँ । मुझे सब पता था फिर भी राहुल को उकसाने के लिये मैंने भोलेपन का सहारा लिया।

"मैंने उसका लण्ड को छू कर कहा - "भैया ... इसे क्या कहते हैं ... ?"

"ये तो सू सू है ... !"

"नहीं ... और क्या कहते है ...? "

"वो ... देख गुस्सा नहीं होना ... इसे लण्ड कहते हैं !"

"हाय रे ... लण्ड ... ये तो गाली होती है ना ... और मेरी इसको ...? "

उसने मेरी चूत को छू कर और इस बार हल्का सा दबा कर कर कहा ... "इसको तो चूत कहते हैं ... "

चूत छूते ही मेरे जिस्म में एक बार फिर से करण्ट दौड़ गया। मुझे इच्छा हुई कि साली को जोर से दबा दे।

"हाय रे ... चूत इसे कहते हैं ... और ये ... " मैंने बोबे की तरफ़ इशारा किया।

"उसने मेरे चूचक पर अपना हाथ रखते हुए और थोड़ा सा दबाते हुए कहा ... "ये इसे चूंची कहते हैं ... "

वो जान कर मेरे अंगों को दबा दबा कर बता रहा था। मेरे शरीर में वासना दौड़ने लगी थी। राहुल का भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था। साफ़ ही दिख रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। उसे हल्के से दबा ही दिया। राहुल सिसक पड़ा।

"बड़ा प्यारा है ना ... !"

"नेहा अपनी चूंची दिखा ना ...!"

"नहीं पहले तू अपना लण्ड दिखा ... !"

' दीदी शरम आती है ... अच्छा और हाथ से दबा ले ... !"

"ठीक है ... " मैंने उसका फिर से लण्ड पकड लिया ... और दबाने लगी। लण्ड दबाते हुये मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई। वो हाय हाय करने लगा।

"नेहा कितना मजा आता है ना ...! "

"बस कर ना ... अब तू चूंची दिखा।"

"नहीं तू भी हाथ लगा कर देख ले ... " उसने भी हाथ क्या रखा ... मेरे बोबे दबा ही डाले। मैं सिसक उठी।

"देख अब तो लण्ड दिखा ही दे ना प्लीज॥ ... " राहुल भी तो यही चाहता था कि कुछ और आगे बात बढ़े। उसने अपना पजामा नीचे उतार दिया और अपना कड़कता हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया।

मेरी तो आह निकल गई। मन मचल गया।

"पकड़ लूँ ... ?" और उसके लण्ड को पकड़ लिया। एकदम गरम लोहे जैसा सख्त।

"अब तू अपनी चूत बता ... !"

"धत्त ... नहीं रे ... !"

"प्लीज बता दे, देख मैंने भी अपना लण्ड बताया ना ... "

मेरे शरीर में जैसे चींटियाँ रेंगने लगी। मैंने अपना स्कर्ट उंचा कर दिया। मुझे ऐसा करने असीम आनन्द आने लगा। शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।

"पांव फ़ैला ना।" मैंने शरमाते हुए अपने पांव फ़ैला दिए। मेरी चूत की दो फ़ाकें और बीच में एक छेद ...

"हाथ लगा दूँ ... !" उसने अपनी अंगुली मेरी चूत पर घुमाई और छेद में घुसा दी ... मैं तड़प उठी। और झट से उसका हाथ हटा दिया पर सच में हटाना नहीं चाहती थी।

"चल बहुत हो गया ... अब सो जा ... बाकी कल करेंगे।" राहुल बत्ती बन्द करके आ गया और मेरे पास ही लेट गया।

"नेहा ... चूत में लण्ड कैसे जाता है ... तुझे पता है ... ?" अब मुझे मौका मिल ही गया। भैया को अब ज्यादा तड़पाना ठीक नही, मैंने सोचा अब चुदवाना ही ठीक है।

"नहीं रे ... तू कोशिश करेगा ... करके देख ... शायद लण्ड घुसेगा ही नहीं ... !" मुझे पता था, शायद उसे भी पता था ... कि घुसेगा कैसे नहीं।

"उसके लिये क्या करूँ ... कैसे घुसाऊँ ...? "

"ऐसा कर तू मेरे ऊपर आजा ... और लण्ड को चूत पर रख कर जोर लगा ... आजा ऊपर आजा ... और कोशिश करके देख ... !" मुझे सिरहन होने लगी थी ... कि ये चोद डालेगा ... !

वो नंगा तो था ही, मेरी टांगों के बीच में आ गया ... मेरा शरीर तो वासना के मारे कांप गया। अब लण्ड अन्दर घुसेगा ... इन्तज़ार था ... ।

उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और जोर मारा। मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी। वो एकदम अन्दर घुस पड़ा। मैं तड़प उठी।

"पूरा नहीं गया है और जोर लगा !"

अब मेरे ऊपर लेट गया और जोर लगा कर लण्ड पूरा घुसा दिया।

"दीदी इसमें तो बहुत मजा आ रहा है ... !"

"हां ... राहुल ... मुझे भी मजा आ रहा है ... और कर ... अन्दर बाहर कर ... "

मैं तो पहले भी चुदवा चुकी थी ये तो एक बहाना था भैया को पटाने का।

उसने मुझे चोदना शुरु कर दिया।

"हाय रे दीदी ... क्या मस्त है ... खूब मजा आ रहा है ...!"

"भैया ... और धक्के मार ... जोर से मार ... लगा यार ... हाय ... बहुत मजा देता है रे तू तो ... !"

"दीदी ... " उसने जोश में मेरे बोबे मसलने चालू कर दिये।

उसके धक्के बढ़ते जा रहे थे ... मुझे जोर से जकड़ता भी जा रहा था। मैं आनन्द से निहाल हो रही थी। अब वो तेज और जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था।

अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ .... मुझे और चुदाई चाहिये थी पर अपने को रोक नहीं पाई। और झड़ने लगी ... इतने में राहुल भी मेरे से चिपट गया और उसके लण्ड ने माल उगल दिया। वो मेरे ऊपर ही पड़ गया।

"अरे हट ना राहुल ... ये क्या कर दिया तूने ...!"

"मुझे क्या पता ... अपन तो कोशिश कर रहे थे ना ... इसमें दीदी खूब ही मजा आता है ... और करें दीदी ...? "

"इसे चुदाई कहते हैं ... समझा ... और चोदेगा क्या ... ले आजा ... सुन पीछे भी तो एक छेद है ... उसमें इस बार कोशिश कर !" मैंने उसके लण्ड को मसलते हुए कहा।

"कहाँ दीदी गाण्ड के छेद में ...? "

" हां रे ... देख उसमें घुसता है या नहीं ... !" कुछ ही देर में वो फिर लोहे जैसा कड़क हो गया।

राहुल फिर एक बार और तैयार हो गया ... मैंने करवट लेकर अपनी चूतड़ को उसके लण्ड से सटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को फ़ाड़ता हुआ गाण्ड के छेद से टकरा गया।

मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी। उसने कोशिश करके लण्ड गाण्ड में घुसा ही डाला। फिर मेरे दोनों बोबे थाम कर दबा दिये। और नीचे जोर लगा दिया। लण्ड अन्दर सरकने लगा।

मुझे हल्का दर्द हुआ ... पर मजा तो आ रहा था ना। उसका लण्ड अब मेरी गाण्ड चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा।

गाण्ड के तंग छेद को उसका लण्ड नहीं सह पाया। तेज घर्षण के कारण उसका वीर्य एक बार फिर से छूट पड़ा।

"हाय दीदी ... मजा आ गया ... ! तुझे मजा आ रहा है ...? "

"भैया ... तू तो मजे की खान है रे ... अपन रोज़ ही ऐसा करेंगे ... बोल ना ... !"

"दीदी ... हां रोज ही करेंगे ... ! खूब मजे करेंगे ... !"

"देख मम्मी पापा को नहीं बताना ... वरना पिटाई हो जायेगी ...!"

"अरे मरना थोड़े ही है ... !"

"और चोदना है क्या ???"

"हां दीदी ... खूब चोदूँगा तेरे को ....! जोर जोर से चोदूंगा ... !"

"ले आजा ... फ़िर से चढ़ जा मेरे ऊपर ... और चोद दे ... !"

राहुल फिर तैयार था ... ....

मैंने अपनी टांगें फिर चौड़ा दी ... फिर एक बार गरम गरम लोहा मेरी चूत में उतरने लगा ...

मेरे दिल की इच्छा पूरी होने लगी ... ... मैं भैया से उस रात खूब चुदी ... उसने मेरा सारा चुदाई का खुमार उतार दिया।

सुबह हमारे बदन टूट रहे थे ... पर हम दोनों फिर से रात का इन्तज़ार करने लगे ...

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