Saturday, May 18, 2013

रिम्पी और उसका परिवार


मैं एक उच्च परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ, कोयम्बटूर का रहने वाला हूँ, वहाँ मैं एक बहुमंजिली इमारत में निचले मंजिल पर किराएदार था। मैं व्यापार के सिलसिले में वहाँ अकेले रहता था।
मेरी मंजिल पर ही एक जैन परिवार रहने आया। उस इमारत में जैन समाज के ऊँचे लोग की रहते हैं। उस परिवार में 35 साल की महिला, 42 साल का आदमी और उनके दो बच्चे एक लड़का और लड़की थी। दोनों बच्चे स्कूल में पढ़ते थे।


जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तो मेरा लँड आँटी को चोदने के लिये खड़ा हो गया और मैंने आंटी पर लाइन मारना चालू कर दिया। अंकल नौकरी करते थे और उनके वेतन से घर का गुजारा काफी मुश्किल से होता था इसलिये आंटी भी छोटे-मोटे काम करती थी।

मैंने पैसे से उनकी मदद चालू की और उनके बच्चे जो दसवीं और नौवीं के छात्र थे, को चॉकलेट देकर पटा लिया। एक महीने में ही हम काफी घुल-मिल गए। उनकी बेटी रिम्पी मेरे यहाँ टीवी देखने आने लगी। मेरा ध्यान उस पर नहीं था, मैं तो आंटी को चोदना चाहता था क्योंकि वह नाटे कद की भरे बदन की 38 इंच की चूचियों वाली मेरे सपनों वाली औरत थी जिसके बारे में सोचकर मैंने अनेक बार मुठ मारी है।

अब मैं धीरे-धीर उसे इशारे करने लगा कि मैं क्या चाहता हूँ। कभी उसके सामने अपने लंड को सहलाता, तो कभी उसकी चूचियों को देखकर होंठों पर जीभ चलाता। पर वो सारी बातें समझ कर भी केवल मुस्कुरा देती और कहती- तुम जल्दी से शादी कर लो।
पर मैंने अपना काम चालू रखा। मैंने आंटी पर लाइन देना चालू रखा, पर वो सिर्फ अपना मतलब निकालती रही।
इसी बीच एक दिन आँटी और रिम्पी किसी फ़ंक्शन में जा रहे थे और उस दिन के बाद मैंने आन्टी के साथ रिम्पी को भी चोदने का मन बना लिया। उस दिन रिम्पी ने उजला टी-शर्ट और मिनी स्कर्ट पहना था। टी-शर्ट के अंदर उसने ब्रा भी पहनी थी जिस कारण से उसकी चूचियों से तंग टी-शर्ट को ऊपर उठ रही थी।
जिसे मैं बच्ची समझता था वो पूरी तरह से जवान थी और मेरा उसके लिये नजरिया बदल गया। अब मैं उसके साथ खेल में नजदीक आने और उसे छूने की ताक में रहने लगा और उसे बड़ी चॉकलेट देने लगा।
एक दिन जब हम छुपा-छुपी खेल रहे थे, रिम्पी चोर बनी और मुझे उसकी आँखें बंद करनी थी। वो मेरी तरफ पीठ कर खड़ी हो गई। उस दिन मेरा उसको पहला बड़ा स्पर्श था। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने अपने को उससे सटाते हुए एक हाथ से उसकी आँख बंद की और एक हाथ इस तरह से उसकी चूचियों पर रखा कि उसे यह न लगे कि मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है। मेरे हाथ का उसकी चूचियों से संपर्क होते ही मुझे लगा कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया और मेरा लंड पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया। पर मैंने किसी तरह अपने पर काबू किया। यह दो मिनट तक चला और उसके बाद वो खेलने लगी और मैंने सीधा बाथरूम में घुस कर अपनी गर्मी शांत की। यह काम लगभग 10 दिनों तक चला और मैंने और भी बहानों से कभी उसकी चूचियों तो कभी उसके नितंबो को छूना चालू कर दिया। एक दिन मैंने एक उपाय सोचा। मैं उसको देने वाली टाफी कमरे के अंदर बनी टाण्ड पर रख दी। दोपहर जब वो स्कूल से आकर अपनी चॉकलेट मांगने आई तो मैंने उसे बोला- वहाँ से उतार लो।
वो कोशिश करने लगी पर ऊँचा होने के कारण उतार नहीं पाई।
तब उसने बोला- आप मुझे गोदी में उठाओ !
मैं यही चाहता था। उसने हाथ ऊपर कर लिए, मैंने अपने दोनों हाथ आगे उसकी चूचियों के पास ले जाते हुए पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगा। मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों को दबाये हुए थे और मैंने उसे उठा रखा था परंतु तब भी वो चॉकलेट नहीं उतार पाई और उसने मुझे और ऊपर करने को कहा।
तब मैंने उसे नीचे उतारा और इस क्रम में मैंने उसकी चूचियों को अच्छी तरह मसल दिया और उसकी गांड में अपने खड़े लंड को भी रगड़ दिया।
उसने पूछा- उतार क्यों दिया?
तब मैंने उसके स्कर्ट पर से उसकी जांघों के पास पकड़ कर उठा लिया। तब भी वह चॉकलेट के पास पहुँच नहीं पा रही थी।
उसने बोला- थोड़ा सा और उठाओ।
तब मैंने अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर घुसाते हुए अपनी एक हथेली को उसकी दोनों टांगों के बीच ले जाते हुए उसकी गांड और चूत के पास लगाते हुए हथेली से ऊपर उठा दिया।
तब उसने कहा- बस जरा सा और ऊपर अंकल !
और मैंने उठाने के क्रम में उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहला दिया।
अभी मैं इसमें खोया था कि उसने बोला- अंकल, नीचे उतारिये !
और फिर मैंने उतारते हुए उसकी चूचियों को रगड़ दिया पर उसने कुछ नहीं बोला और थैन्कयू बोल कर मुस्कुरा कर चली गई और मैं बाथरूम में घुस गया।
अब यह रोज का काम हो गया, वो आते ही बोलती- मुझे गोद में उठाइये।
10 दिनों में वो काफी खुल गई, खेल में भी मुझसे चिपकने लगी। मुझे लगा कि उसे भी मजा आ रहा है। तब मैंने अपना अगला कदम बढ़ाने की योजना बनाई। वो शाम को टीवी देख्नने आती थी, मैंने एक दिन डीवीडी पर ब्लू फ़िल्म लगा कर छोड दी ताकि जब वो आए तो चालू कर दूँ।
वो आई और टीवी देखने लगी। मैं टीवी और डीवीडी का रिमोट लेकर बाथरूम में चला गया और फिर फिल्म चालू कर दी। पहले तो उसे कुछ नहीं समझ में आया, फिर जब उसे समझ में आया, वो बाथरूम की ओर देखने लगी। दरवाजा बंद देख वो आराम से फिल्म देखने लगी। दस मिनट के बाद मैं बाथरूम से निकला और बोला- यह क्या चल रहा है?
और फ़िल्म बंद कर टीवी चालू कर दिया।
उसने बोला- यह फिल्म अपने-आप चालू हो गई।
तब मैंने बोला- ठीक है पर इसके बारे में किसी को बताना नहीं।
उसने पूछा- क्यों?
क्योंकि यह बड़ों के देखने वाली फिल्म है।
उसने कहा- ठीक है !
और मुस्कुराने लगी।
मैं समझ गया कि काम बन गया और फिर आगे की योजना बनाई। दूसरे दिन चॉकलेट उतारते समय फिर से मैंने उसकी चूचियों को मसल दिया। इस बार फिर वो मुस्कुरा दी और फिर टीवी देखने लगी। मैंने डीवीडी पर ब्लू फ़िल्म लगा रखी थी, जिसे मैं उसे बार-बार बदलकर दो-दो मिनट दिखला रहा था और वो काफी ध्यान से उसे देखती थी।
एक घंटे देखने के बाद वो मुस्कुराते हुए उठ कर चली गई।
दूसरे दिन फिर वो स्कूल से आने के बाद स्कूल ड्रेस,जिसका स्कर्ट मुश्किल से जांघो को ढक पाता था, में चॉकलेट लेने आई।इस बार मैंने जब उसे उठाया तो मैंने एक उँगली से उसकी चूत को रगड़ना चालू कर दिया और फिर उतारते हुए उसे कसकर दबा दिया पर ऐसे कि उसे लगे कि यह अनजाने में हुआ है। फिर वह टीवी देखने लगी।
दो मिनट के बाद ही वो बोली- कोई फ़िल्म लगाइये।
मैंने बोला- मेरे पास कोइ हिन्दी मूवी नहीं है।
तब वह बोली- जो है, वही लगाइये।
मैं बोला- बड़ों वाली है, देखोगी?
तो वह बोली- ठीक है।मामला फिट हो गया और मैंने ब्लू फ़िल्म चालू कर दी। दस मिनट देखने के बाद मैंने पूछा- क्या तू जानती है कि यह क्या हो रहा है?
तो रिम्पी बोली- ये गंदा काम कर रहे हैं।
तब मैंने उससे बोला- यह गंदा काम नहीं है, सभी औरत और मर्द यह काम करते हैं, जिसको चोदना कहते हैं और इसमें दोनों को खूब मजा आता है।
यह रोज का काम हो गया, वो खुल कर सेक्स पर बातें करने लगी। मैंने उसे चुदाई की कहानी की किताब दिखाई और पढ़वाई। पर मैं उसे सहलाने और मसलने से आगे नहीं बढ़ा। मैं चाहता था कि यह खुद इतनी गर्म हो जाए कि वो खुद चोदने को कहे।
उसके जन्मदिन पर वो स्कूल नहीं गई। उस दिन उसने लोकट टीशर्ट और लम्बी स्कर्ट पहनी थी। जब उसकी मम्मी काम से चली गई तो वो मेरे पास आई।
मैंने उसके गालों पर चूम कर विश किया, तो उसने मेरा गिफ्ट कहते हुए हाथ बढ़ा दिया। तब मैंने कहा- मुझे मालूम नहीं था, इसलिये मैं नहीं लाया।
फिर मैंने जेब से 1000 का नोट निकाल कर उसे गिफ्ट दिया।
वो बोली- नहीं लूगी, मम्मी डांटेगी।
मैंने वापस लेने से इनकार कर दिया।
तब वह बोली- अभी आप रखो, जब नुझे जरूरत होगी, मैं ले लूंगी।
ठीक है ! पर थोड़ी देर अपने पास रखो, मैंने बोला।
तो वो बोली- मेरे पास जेब थोड़े ना है।
तब मैंने नोट को उसकी टीशर्ट के गले में से उसके अंदर डाल दिया और कहा- लड़कियों का सबसे बडा पर्स उसका ब्लाऊज होता है।
वो शरमा कर मुस्कुराने लगी।
इसी बीच मैंने उसकी चूचियों को भी मसल दिया था।
फिर वह बोली- मेरी चॉकलेट?
मैंने उसे उठा लिया और जैसे ही हाथ को चूत के पास ले गया, मुझे एक जोर का झटका लगा। आज उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मेरा हाथ सीधे उसकी बिना बालों वाली चूत को सहलाने लगा।
दो मिनट में ही वो बोली- अंकल मुझे नीचे उतारिये !
और नीचे उतर गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ? चॉकलेट क्यों नहीं उतारी?
वो बोली- मैं अभी आती हूँ।
मैं समझ गया।
दो मिनट में वो वापस मुस्कुराते हुए आई और बोली- अब उठाइये।
मैंने उसे फिर से उठा लिया, मेरा हाथ उसकी स्कर्ट में घुस गया, मैंने देखा कि उसने पैन्टी पहन ली थी। मैंने फिर पैन्टी के उपर से उसकी चूत सहलाई और फिर उतारते समय चूचियों को मसल दिया। फिर वो टीवी देखने लगी।
मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- बीच में कहाँ उतर कर गई थी?
वो मुस्कुरा दी पर जवाब नहीं दिया। मैंने भी जोर नहीं डाला।
फिर उसी दिन शाम के समय फिर से उसकी चूचियों को मसल दिया।
उसने कहा- छोड़िये ! दर्द हो रहा है।
मैंने छोड़ दिया पर उस दिन खेल-खेल 8-9 बार उसकी चूचियों और गाँड को मसल दिया, उसने कुछ नहीं बोला।
दूसरे दिन शाम को टीवी पर ब्लू फिल्म देखते हुए मैंने उससे पूछा- यह देखने के बाद तुम्हारा मन नहीं करता है?
उसने पूछा- क्या?
मैंने बोला- जो मूवी में हो रहा है।
वो शर्मा गई और बोली नहीं।
तो मैं पहली बार जानबूझ कर उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- क्यों ! तुम भी तो बड़ी हो गई हो और तुम्हारी ये तो काफी बड़ी हो गई हैं।
उसने अपनी चूचियो को छुड़ाते हुए कहा- यह क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- क्या तुम्हें मेरा पकड़ना अच्छा नहीं लगा?
और मैंने फिर से एक बार उसकी चूचियों को पकड़ लिया।
और धीरे-धीरे मसलने लगा। इस बार वो कुछ नहीं बोली। फिर यह रोज़ का क्रम हो गया। वो आती, मैं चॉकलेट देने के लिए गोदी में उठाता और उसकी चूत और चूचियों को मसलता और फिर फिल्म देखते समय उसकी चूचियों को मसलते रहता था।
होली के पहले दिन उसने बोला- मैं कल आपको रंग दूंगी।
मैंने होली में उसके साथ मस्ती करने की योजना बनाई। होली के दिन मैंने अपने फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया, बाहर वो और दूसरे बच्चे होली खेल रहे थे। वो सभी बार-बार मुझे दरवाजा खोलने को बोल रहे थे पर मैंने दरवाजा नहीं खोला।
तब उसने खोलने को कहा, तब मैंने कहा- सिर्फ एक अन्दर आएगा और मुझे रंग नहीं लगाएगा।
सब मान गए और मैंने दरवाज़ा खोला और रिम्पी अन्दर आई और मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। वो मुझे रंग लगाने लगी, मैं न लगाने का नाटक करने लगा, उसने ज़बरदस्ती मुझे पूरे शरीर पर अंडरवीयर को छोड़ कर रंग लगा दिया और हँसने लगी।
तब मैं गुस्सा दिखाते हुए बोला- ठीक है, अब मैं तुम्हें रंग लगाऊँगा।
वो बोली- ओके !
मैं उसे बाथरूम में ले गया और फिर बाल्टी में रंग घोल कर अपने हाथों से पहले उसके चेहरे पर फिर उसके शरीर पर लगाने लगा। इसी क्रम में मैंने अपना हाथ उसकी टीशर्ट में घुसा दिया और उसकी चूचियों पर रंग लगाने लगा।
वो बोली- यह क्या कर रहे हैं?
मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठाते हुए चूचियों को नंगा कर दिया और बोला- तुम्हें रंग लगा रहा हूँ।
और उसकी चूचियों को मसलता रहा। मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया और पजामे से निकलने लगा।
वो अपने को छुड़ाने की ऊपरी कोशिश करने लगी पर मैंने उसे न छोड़ा और अपने होंठ उसकी चूचियों पर लगा दिए और उन्हें चूसने लगा।
और उसका एक हाथ पकर कर अपने पजामे पर रख दिया, वो भी गर्म हो गई थी और मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी,
मेरा एक हाथ अब उसकी चूत पर चलने लगा था। करीब दस मिनट तक हम यह करते रहे और उसके बाद वो अलग हो गई और जाने लगी, बोली- कोई मुझे खोजता आ जायेगा।
मैंने फिर उसे पकड़ लिया और बोला- प्लीज़ थोड़ी देर !
पर वो जाने लगी।
तब मैं अपना लंड पजामे में से निकाल उसे दिखाते हुए बोला- देखो, यह तड़प रहा है, प्लीज़, इसे ठंडा कर दो न ! प्लीज़ !
और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने अपने लंड को पकड़ा दिया पहले तो वो शरमाई फिर लंड पकड़ लिया और ऊपर-नीचे करने लगी, मैं फिर से उसकी चूचियों को मसलने लगा और पुछा- कैसा लग रहा है? और ये किससे सीखा?
तो उसने कहा- अच्छा लग रहा है ! फिल्म में ऐसे ही करते हैं न !
करीब पांच मिनट में मेरा पानी निकल गया और फिर वो हाथ धोकर चली गई।
अब मैं समझ गया कि अब यह चुदवाने को तैयार है। और मैं उसके अकेले होने का मौका खोजने लगा पर हमारा रोज वाला काम चालू था। वो शाम को आती मैं अब उसे बड़ी चॉकलेट देता।
हम बी ऍफ़ देखते, मैं उसकी चूचियाँ और चूत मसलता और वो मेरे लंड से खेलते हुए मेरा वीर्य निकाल देती। जब मैं उसे चुदवाने को कहता तो वो "डर लगता है" और "दर्द होगा" कह कर मना कर देती थी।
मैं भी समझता था कि पहली बार जब यह चुदेगी तो दो दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी और सबको पता चल जायेगा। इसलिए मैं इसके दो दिन अकेले रहने का इंतज़ार कर रहा था।
और एक दिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली, उसकी मम्मी मेरे पास आई और बोली- हम तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं और रिम्पी अकेले रहेगी, उसका ख्याल रखना।
मैंने कहा- ठीक है।
रात में आठ बजे मैं और रिम्पी ने उन्हें ट्रेन पर बैठा कर लौटे। रास्ते में ही मैंने रिम्पी को चुदवाने को तैयार कर लिया। इसके लिए मैंने पांच कंडोम और दो एक्स्ट्रा पॉवर कैप्सूल और दो दर्द की गोलियाँ भी ले ली। हमने रात बारह बजे मिलने का कार्यक्रम बनाया ताकि बिल्डिंग के सभी ल़ोग सो जाये।
घर पहुँच कर हमने अपने-अपने फ़्लैट के दरवाजे बंद कर लिये ओर सभी के सोने का इन्तजार करने लगे। करीब रात के बारह बजे उसके फ़्लैट की बत्ती जल-बुझ कर सिगनल देने लगी तो मैंने अपने फ़्लैट को खोला ओर वो अपने फ़्लैट को बन्द कर मेरे फ़्लैट में आ गई।
मैंने उसे अन्दर करके दरवाजा बन्द कर लिया और पकड़ कर अपने कमरे में ले गया।
मैंने कमरे में सेंट छिड़का हुआ था जिस कारण कमरे में मादक खुशबू थी। मैं उससे लिपट गया और उसे लेकर बिस्तर पर लेट गया। वो भी मुझसे लिपट कर मुझसे अपना शरीर रगड़ने लगी।
आग़ दोनों ओर लगी थी। मैं तो अपनी आग बुझा लेता था पर उसका यह पहला मौका था, वो जल रही थी। मैंने भी सोचा कि इसे थोड़ा तड़पाया जाए !
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और फिर स्कर्ट भी उतार दी।
मैं सिर्फ अपने बोक्सर में था और वो सिर्फ़ पिन्क पैन्टी और छोटी लड़कियों के पहनने वाली शमीज़ में थी। हम दोनों लिपटे हुए थे, उसका एक हाथ मेरे लंड मसल रहा था।
मैंने उसकी शमीज़ ऊपर कर निकाल दी और अपना मुँह उसकी चूचियों पर लगा दिया और चूसने लगा।
वो सिसकारने लगी।
मेरा एक हाथ उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा और एक हाथ उसकी पैन्टी में घुस गया, उसकी चूत को मसलने लगा।
वह भी अपना हाथ मेरे पैन्ट में घुसा कर मेरे लंड को मसलने लगी।
कुछ ही मिन्टों में मेरी पैन्ट और उसकी पैन्टी उतर गई, हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गये।
वो मुझे और मैं उसे देख रहा था।
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में लेट गये और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और जीभ उसकी चूत में घुसा कर चूत चाटने लगा।
वो सिसकारियाँ लेने लगी, मुझे कस के भींच लिया और मेरे लण्ड को कस कर मसलने लगी और अपने होठों पर रगड़ने लगी पर मुँह में नहीं लिया।
इधर उसकी चूत से पानी रिसने लगा था और दो मिनट में वो झड़ ग़ई और मुझे भींच लिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
बोली- मेरी तो जान निकल गई, अब आराम मिला है।
मैं सीधा हो गया और बोला- तुम तो झड़ गई, मेरा क्या होगा? और अपना लण्ड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो फिर से तड़प उठी और बोली- अँकल जल्दी से चोद डालो !
मैं बोला- ठीक है ! पर दर्द होगा, चिल्लाना नहीं।
उसने गर्दन हिला ही। उसकी चूत और मेरा लण्ड पानी रिसने से पूरा चिकना था, मैंने लण्ड को चूत के मुँह पर लगा एक जोरदार धक्का मारा ओर मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया, वो चिल्लाने लगी पर मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर कस दिया और चूसने लगा, एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा, वो तड़प रही थी पर चूचियों की मसलन से दुछ समय में वो आराम महसूस करने लगी और बोली- आपने तो मेरी जान निकाल दी !
तब मैं बोला- कहो तो निकाल लूँ इसे !
वो बोली- नहीं !
तब मैंने एक और कस के धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में फिट हो गया, एक बार वो फिर तड़पी पर इस बार चिल्लाई नहीं। मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर में वो अपनी जाँघें हिलाने लगी, मैं समझ गया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने अपनी गति बढ़ा दी और कस कस के धक्के लगाने लगा, वो नीचे से चूतड़ उछाल रही थी।
पाँच मिनट के बाद मैं बोला- मेरा निकलने वाला है !
और अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया, उस पर लेट गया और उसके होंठों को चूसते हुए पलट गया।
अब वो मेरे ऊपर थी और धीरे-धीरे अपने चूतड़ों को उछाल रही थी। कुछ ही मिनटो में मेरा लण्ड उसकी चूत में घुसे हुए ही खड़ा हो गया और मैं धक्के मारने लगा। इस बार और तेज धक्के लगने लगे और तभी वो झर गई और शांत पड़ गई पर मैंने धक्के मारना जारी रखा और बीस मिनट तक उसे चोदता रहा। और फिर से एक बार अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और निढाल होकर उससे लिपट गया।
मैं दो बार और वो तीन बार झड़ चुकी थी। चार बजे फिर नींद खुली और फिर दो बार उसे चोदा। और फिर हम दोनों सो गये।
सुबह 6 बजे का अलार्म बजा, मैंने उसे उठाया और जल्दी से कपड़े पहनने को कहा।
पर वो रात की जोरदार चुदाई के कारण चल नहीं पा रही थी। मैंने उसे किसी तरह वापस उसके फ्लैट में भेजा और समझाया कि स्कूल चली जाए और एक घँटे में वापस आ जाये और कहे कि स्कूल में चोट लग गई इसलिये वो चल नहीं पा रही है और वापस आ गई है।
उसने ऐसा ही किया, जिस कारण बिल्डिंग में किसी को शक नहीं हुआ। और फ़िर रात में एक बार हम दोनों ने अलग-अलग तरीकों से 6 बार चुदाई की।
दूसरे दिन उसके मम्मी पापा आ गये और हम साधारण तरीके से मिले पर हम अपनी प्यास नहीं बुझा सके।
समय बीतता गया, जब हमें मौका मिलता हम अपनी प्यास बुझा लेते थे पर उसमें मजा नहीं मिल रहा था। इसी बीच मुझे लगा कि रिम्पी की मम्मी को शक हो गया है, इसलिये मैं रिम्पी से दूर रहने लगा।
एक दिन उसकी मम्मी बाहर गई थी और हम दोनों चुदाई में मस्त थे। तभी उसकी मम्मी आ गई और हमें नंगे पकड़ लिया। रिम्पी उठ कर कपड़े पहनने लगी और उसकी मम्मी ने उसे पीट डाला।
मैं नंगा खड़ा था और मेरा लंड सीधा टाईट ख़डा था, उसने रिम्पी को घर भेज दिया, मुझे दो थप्पड़ मारे और बोली- मैं तुम्हें शरीफ समझती थी पर तुम क्या निकले?
अक़ुर मेरे लण्ड को देखे जा रही थी।
फिर बोली- मैं तुम्हें इस घर से निकलवा दूँगी।
तब मैं बोला- आँटी, बदनामी आपकी ही होगी।
वो चुप हो गई।
थोड़ी देर बाद उसने बोला- तुम रिम्पी से नहीं मिलोगे।
तब मैं बोला- मेरा क्या होगा?
तब वो बोली- उसकी उमर अभी कम है, किसी और को पकड़ो !
और मुस्कुरा कर मेरे लण्ड को देखने लगी।
मैं समझ गया और बोला- आँटी, मैं तो पहले आप पर लाइन दे रहा था पर आपने जवाब नहीं दिया और रिम्पी फँस गई।
तब इस बार वो खुल कर बोली- क्या तुम मुझे चोदना चाहते हो?
ये लफ़्ज सुन मैंने उसकी चूचियों को पकड़ कर मसल दिया और बोला- हाँ, आप तो रिम्पी से भी शानदार माल हो।
वो खुद को छुड़ाती हुए बोली- ठीक है ! पर एक शर्त है ! तुम रिम्पी को हाथ नहीं लगाओगे।
मैं बोला- मंजूर है ! पर मुझे पहला मौका कब मिलेगा आपकी सेवा का?
वो मुस्कुरा कर बोली- कि जल्द ही !
और चली गई।
मैं तुरन्त बाथरूम में गया और मुठ मार कर अपनी गर्मी शांत की।

आपने पढ़ा कि मैंने कैसे रिम्पी की चुदाई की और जिसे देख कर रिम्पी की मम्मी अनीता भी चुदवाने को तैयार हो गई।
अगले दिन सुबह जब रिम्पी स्कूल और उसके पापा काम पर चले गये और घर सन्नाटा हो गया तब मैंने अनीता के फ्लैट पर पहुँच कर घण्टी बजाई।
अदंर से आवाज़ आई- कौन है?
मेरे जवाब देने पर उसने दरवाजा खोला और मैं अदंर चला गया। वो दरवाजा बंद कर बोली- अभी क्यों आये हो? किसी ने देख लिया तो?
मैं बोला- किसी ने नहीं देखा है।
और मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और हाथ आगे कर उसकी छातियों को मसलने लगा, उसकी चूचियाँ एकदम कड़ी थी।
वो अपने को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली- देखो, कोई आ जायेगा !
पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और अपना लण्ड जो उसको छूने और गाण्ड में रगड़ने से खड़ा हो गया था, उसकी गाण्ड में रगड़ने लगा और बोला- आज मैं आपको नहीं छोड़ूँगा, मैं कब से तुम्हें सपनों में चोदता रहा हूँ, आज मौका मिला है तो तुम छोड़ने को बोल रही हो !
और कसकर उसकी चूचियों को मसलने लगा।
तब वो अपने को ढीला छोड़ते हुए बोली- मैं भी तड़प रही हूँ, पर मजबूरी है, तीन दिन मैं नहीं चुदवा सकती।
मैं समझ गया, पर बोला- अगर चुदवा नहीं सकती तो मेरी तड़प कैसे शाँत होगी।
तड़प तो मैं भी रही हूँ ! उसने बोला और मेरा लण्ड पकड़ लिया।
तब मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके ब्लाउज को खोलने लगा। वह मना करने लगी पर मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और उसे ऊपर से नंगी कर उसकी चूचियों को चूसने लगा।
इधर वो मेरे लण्ड को मसल रही थी और मैं उसकी चूचियों को चूसते हुए उसकी गाण्ड को मसल रहा था।
पाँच मिनट के बाद वो खुद को छुड़ाते हुए बोली- अभी तुम जाओ, तीन दिन बाद रिम्पी के पापा बाहर जाने वाले हैं और मैं भी फ्री हो जाऊँगी, तब हम ये करेंगे।
तब मैंने कहा- जब तक मेरा माल नहीं निकालोगी, मैं नहीं जाने वाला।
तब वो नाराज होते हुए बोली- ठीक है !
और उसने खिड़की से झाँककर बाहर देखा और फिर मुझे खींचकर अपने बेड पर लेजा कर गिरा दिया और मेरे पैन्ट को खोल कर मेरे लण्ड को मसलने लगी। तब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चूचियों के लिये मेरे मन में जो इच्छा थी उसे पूरा करने लगा।
मैं उसकी दोनों चूचियों को आपस में सटाकर बीच में अपना लण्ड डाल चूचियों की चुदाई करने लगा।
शुरु में वो नाराज हुई, फिर मज़ा लेने लगी।
करीब 15 मिनट तक उसकी चूचियों की चुदाई के बाद मैंने अपना माल उसकी चूचियों और चेहरे पर बरसा दिया।
तब उसने बिगड़ते हुए कहा- यह क्या किया, मुझे गंदा कर दिया !
तब मैंने मुस्कराते हुए चूचियों को चूम लिया और बोला- क्या हुआ? वैसे भी आप अभी नहाने जा रही थी।
वो हंस दी और मेरे लण्ड को मसलते हुए कहा- तुम बहुत बदमाश हो और बहुत परेशान करते हो। अब तो तुम्हें आराम मिल गया ना ? अब तुम जाओ, मुझे नहाना है।
मैंने कहा- अभी आपने मेरी बदमाशी देखी कहाँ है, मौका मिलने दो, इतनी बदमाशी करूँगा कि बाकी सभी बदमाशियाँ भूल जाओगी।
वो उठती हुए बोली- अब तुम जाओ।
मैं बोला- जाता हूँ, पर तुम पहले बाहर देख तो लो कि कोई है तो नहीँ?
और मैं बाथरूम में घुस गया।
वो बाहर देख बोली- जाओ, कोई नहीं है।
तब मैं एक बार फिर से उसकी चूचियों को मसलते हुए बाहर निकल गया।
एक दिन बाद सुबह सात बजे मेरे घर की घण्टी बजी, जब दरवाजा खोला तो अंकल थे, वो 1000 का नोट लिये थे, बोले- इसका चिल्लर दे दो !
मैंने बोला- नहीं है !
और वे चले गए।
उनके जाने के बाद अनीता आई, बोली- 200 रुपए उधार दे दो, बाद में लौटा दूँगी।
तब मैंने उसे अंदर बुलाया और 200 पकड़ाते हुए उसकी छाती को मसल दिया। तब वो खुद को छुड़ाते हुए बोली- तुम्हारे अंकल अभी बाहर जा रहे हैं, तुम इनके पीछे स्टेशन जाकर देख लेना कि ये गये या नहीं ! फिर 11 बजे मैं आती हूँ।
मैं स्टेशन गया और उनकी ट्रेन जाने के बाद घर लौटा, देखा, वो दरवाजे पर इंतजार कर रही है।
मैंने सिर हिला कर इशारा कर दिया तो वो मुस्कुरा दी और मेरे पास आकर बोली- अभी बच्चे स्कूल चले जायेंगे, तब मैं 11 बजे आऊँगी।
और मेरे लण्ड को मसलकर चली गई।
मैं फटाफट तैयार हो गया और अपने कमरे को सेंट छिड़क कर तैयार कर दिया।
करीब 11 बजे वो अपने घर से निकल इधर-उधर देखते हुए मेरे घर में घुस गई, मैंने फटाफट दरवाजा बंद कर लिया। ज़ैसे ही वो अंदर आई, मैंने उसे जकड़ लिया और उसकी चूचियों को मसलते हुए बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी साड़ी को खोल दिया।
5 मिनट के अंदर ही हम दोनों बिस्तर पर पूरी तरह से नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए 69 की स्थिति में थे।
मैं उसकी चूत जिसे उसने आज ही साफ किया था, बुरी तरह अपनी जीभ से रगड़ रहा था और वो मेरे लण्ड को आइसक्रीम की तरह चाटे जा रही थी। जहाँ रिम्पी लण्ड को मुँह में लेने से मना करती थी, उसकी मम्मी अराम से आइसक्रीम चाट रही थी। मेरे द्वारा उसकी चूत 2 मिनट चाटने के अंदर ही वो पहली बार झर गई।
उसके बाद वो अलग होते हुए बोली- आज मैं शादी के बाद पहली बार झरी हूँ।
और फिर से लिपट गई और बोली- अब मुझे चोद डालो !
और अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी। मैं भी पूरी तरह गर्म था, इसलिये एक ही झटके में अपना आधा लण्ड घुसा दिया।
वो चिल्ला उठी और बोली- जरा धीरे ! मेरी चूत पिछ्ले 5 साल के बाद चुद रही है, इसलिए आराम से घुसाओ, सारा दिन मैं तुम्हारे पास हूँ।
करीब एक मिनट के बाद मैंने एक धक्का जोर से मारा और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
और फिर आधे घंटे तक ऐसा तूफान आया कि मैं बुरी तरह थक गया।
और उस दिन 4 घंटों में हमने तीन बार चुदाई की, और हर बार वो मुझ पर भारी पड़ी।
पर यह हुआ कि वो मेरी दीवानी हो गई।
तब मेरे पूछने पर अनीता ने बताया- रिम्पी मेरी सौतेली बेटी है, मेरी उम्र मात्र 32 साल है और तुम्हारे अंकल की उम्र 49 साल है, इसी कारण से कभी भी मुझे शारीरिक सुख नहीं मिला। तुम पहले आदमी हो जिसने मुझे संतुष्टि दी है।
उसके बाद अकसर जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई किया करते थे।
मैंने उसके हर छेद की चुदाई की। पर मुझे जब भी मौका मिलता, रिम्पी की भी चुदाई करता रहता था। पर वो हर दिन चुदाई चाहती थी जिसमें हमारे पकड़े जाने का डर था। इसलिये मैंने सोचा कि अगर रिम्पी मुझे और अनीता को चुदाई करते हुए देख ले तब अनीता मुझे और रिम्पी को चुदाई से नहीं रोक पाएगी।
इसलिए मैंने रिम्पी को बोला- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मम्मी को फंसाने की कोशिश करूं? अगर वो फंस गई तो फिर वो हमें मिलने से नहीं रोक सकती।
रिम्पी इसके लिये तैयार हो गई। और मेरी योजना के अनुसार एक दिन मैं और अनीता जब चुदाई कर रहे थे तब रिम्पी ने हमें पकड़ लिया और अनीता से बोली- मैं पापा को बता दूंगी।
और तब मैंने दोनों को समझाया। और उसके बाद अब मैं आराम से दोनों को चोदता हूँ, जब रिम्पी को चोदता हूँ तो अनीता रखवाली करती और अनिता को चोदते समय रिम्पी।
अब मैं दोनों को एक साथ चुदवाने को तैयार करने की कोशिश कर रहा था कि एक दिन रिम्पी ने कहा- अब हमें चुदाई में परेशानी होगी।
पूछने पर बताया कि अनीता की छोटी बहन विनीता जो सिर्फ 19 साल की है, और एक महीने पहले ही शादी हुई है उनके साथ रहने आ रही है।
5 दिनों के बाद विनीता आ गई। उसका पति उसे यहाँ छोड़ विदेश कमाने चला गया।
अब हमारी चुदाई होने में काफी परेशानी हो रही थी क्योंकि विनीता हर समय घर पर ही रह्ती थी।
आगे की सच्ची घटना अगली कड़ी में बताऊँगा कि कैसे मैंने विनीता को चोदा और कैसे अनीता और रिम्पी को एक साथ चोदा।

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